I am as elusive,
as you allow me to be..
I am as opaque,
as you read me more..
I am as possesive,
as you claim on me..
I am as fluent,
as you ease me..
I am as impossible,
as memories try to erase me ..
Sunday, June 29, 2008
तुझा हट्ट
तू मला मा्गावं काहीतरी मी जिवाचं मग रान करावं हौस पुरी झाली एकदा की तू खुदकन गोडसं हसावं
परत तुझा नवीन हट्ट मी तो अलगद पुरवण्याचा स्मितभर हसतो अता मी उगा प्रयत्न करतो नभांतून शेवटचा टाटा करण्याचा...
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