Friday, March 27, 2009

वहम

जगमगाता, मुस्कुराता सा मौसम हो
दिल में ख्वाहिशें अब जरासी कम हो

इतनी उदासियां हो गयी जिंदगी मे
लोग पूछते है,आज बडे खुशनम हो..

तेरा नाम लेके जिते थे अब तक हम
भुलाते रहेंगे ता-हद जब तक दम हो

इक ख्वाब के पिछे इतने दौडे भागे है
थक हार के दिल कहता है, रहम हो..

तेरे यादों मे कडी धूप है, घनी छांव भी
कुछ दर्द सा है और तुम ही मरहम हो

गज़लभर तुझसे यूंही बातें करता रहा
अब लगता है, ये सच है या वहम हो..

Tuesday, March 17, 2009

शाम मे तेरे साये लहराते है

शाम मे तेरे साये लहराते है
धूप का नजारा दिखा जाते है

अब मुझमे न ढूंढ खुदको
रुक तेरा पता पूछ आते है

शहरमे अपनोंकी कहां कमी
यूंही खुदको अकेला पाते है

रातभर आंच है आग की
करवटों मे उसे छुपाते है

कोई खास मरासिम न सही
ऐसेही तुझपे हक जताते है

ख्वाबों की स्याही मुफ़्त मिली
चलो 'अभि' से लिखवाते है ..

Thursday, March 12, 2009

काहीतरी उमटलेले

स्वप्न बघावे हवे ते
शोधावे सदा नवे ते
असंही काही वाचावे
डोळ्यांत न मावे ते

रडावे हसून उरेल ते
बोलावे बोल सुरेल ते
अलगद शब्द स्फ़ुरावे
लिहावे मनी उमटेल ते

स्मरावे जे हसवेल ते
द्यावे कधी न संपेल ते
अस्तित्व असे असावे
नसणे ज्याचे जाणवेल ते

Tuesday, March 10, 2009

कैसे मुझे ऊ मिल गयी

कैसे मुझे ऊ मिल गयी
सर से जाये ना खुजली
मुझे आता नही शांपू पे अपनी यकीं
कैसे मुझको मिली ऊ ... ...

अनचाहे शख्स की तरह से महफ़िल मे तुम
डसके मुझे भागी हो यूं ..
हसूं तुमपे या मै रोऊं
छिना है सुकूं, कैसे मै रूकूं
क्यू अब यहां आई तुम ...

बदले शांपू, बदली कंघी
बदली बालोंकी क्रीम..
पले बालों मे जिंदगी नयी
बेकार गयी हर स्कीम..
मिली है चैन को विदा..
पर ये रहेंगी सदा
उसी तरह मेरी बालों मे खाट डालके
हर लम्हा, हर पल ..

जिंदगी पिटारा हो गयी
खिटपिट खटारा हो गयी
मुझे आता नही शांपू पे अपनी यकीं
कैसे मुझको मिली ऊ .........

Monday, March 2, 2009

छोटीशी शब्दभेट

सुमंगल नात्याची
सोनसळी पहाट
अथांग स्वप्नांचा
अनिमिष थाट

रुपेरी वचनात
बोलका आनंद
बंधनं तोडून
सजला मुक्तछंद

प्रथमेषाला वंदून
सुरु्वात प्रवासाची
सहजच लाभेल
साथ उत्कर्षाची

नवे सूर,नवी तान
नवे कोवळे तराणे
छान जुळुन येईल
सुरेल जीवनगाणे

दादा - वहिनीला साक्षगंधानिमित्य छोटीशी शब्दभेट ..