चलता रहता हूं इस साहिल पे
आपकी यादें लहरें बनकर मिलती है
देखता रहता हूं उस फ़लक को
जहां आप चांदनी बनकर मिलती है
यादें तो बन चुकी है साया मेरा
धीरे से पिछे पिछे चलती है
मुडके देखूं तो कोई नही रहता
यूंही मुझे तरसाती रहती है
इस गीली सी रेत पर मै खडा
पांव के निचे से वो सरकती हुई
विश्वास है मेरे ही बनोगे तुम
फ़िर भी लगता है जाँ छुटती हुई ..
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