I am as elusive,
as you allow me to be..
I am as opaque,
as you read me more..
I am as possesive,
as you claim on me..
I am as fluent,
as you ease me..
I am as impossible,
as memories try to erase me ..
Friday, November 21, 2008
पहिली भेट
तुझे आज भेटणे अन माझे बस्स अनिमिष पाहणे..
तू सहजच बोलणे अन मा कवीला शब्दच न सुचणे
तू कोवळेसे हसणे माझे अचूकपणे सर्व मोती झेलणे
घड्याळात पाहणे मनात नसूनही निरोप चाचपणे
पहिल्या भेटीचा उत्साह आवरणे पुन्हा भेटायचे स्वप्न पालवणे
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