कोरे कोरे नसीब पे लिख दूं कुछ अजीब
रूठे पल हस देंगे, सूझी है नय़ी तरकीब ..
लगता है उलझा हूं थोडा, सुलझा कुछ हू
इतना यकीं है, आ गया हू खुद के करीब
दिल के अंदाज बदलते है मौसम की तरह
वही उसका एक दोस्त है, वही एक रकीब
छुपते छिपाते कब तर फ़िरते रहेंगे हम
अब साथ हसता गाता चलेगा मेरा नसीब
जब जब कुछ मिले, उतना ही देते चलो
कल जरूर कहोगे, सच कहता था वो गरीब
1 comment:
कोरे कोरे नसीब पे लिख दूं कुछ अजीब
रूठे पल हस देंगे, सूझी है नय़ी तरकीब ..
vaah..!
Post a Comment