Tuesday, March 10, 2009

कैसे मुझे ऊ मिल गयी

कैसे मुझे ऊ मिल गयी
सर से जाये ना खुजली
मुझे आता नही शांपू पे अपनी यकीं
कैसे मुझको मिली ऊ ... ...

अनचाहे शख्स की तरह से महफ़िल मे तुम
डसके मुझे भागी हो यूं ..
हसूं तुमपे या मै रोऊं
छिना है सुकूं, कैसे मै रूकूं
क्यू अब यहां आई तुम ...

बदले शांपू, बदली कंघी
बदली बालोंकी क्रीम..
पले बालों मे जिंदगी नयी
बेकार गयी हर स्कीम..
मिली है चैन को विदा..
पर ये रहेंगी सदा
उसी तरह मेरी बालों मे खाट डालके
हर लम्हा, हर पल ..

जिंदगी पिटारा हो गयी
खिटपिट खटारा हो गयी
मुझे आता नही शांपू पे अपनी यकीं
कैसे मुझको मिली ऊ .........

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