जब जब चांद टूटा था
टुकडे टुकडे जोडे थे मैने
यादें जब छूके बहती थी
बिखरे मुखडे जोडे थे मैने..
चांदनी रूठी रहती थी, पेडों मे छुपके
दिये चेहरा छुपाते थे, रातों मे बुझके
दिल की टहनी पे अटके
ख्वाबों के पत्ते तोडे थे मैने ..
जब जब चांद टूटा था
टुकडे टुकडे जोडे थे मैने..
मैने भी बुनना चाहा था इक रिश्ता
थॊडा चला, रुका, ढला आहिस्ता आहिस्ता
कितने मोड पिछे छूट गये
कितने ख्वाब मोडे थे मैने ..
जब जब चांद टूटा था
टुकडे टुकडे जोडे थे मैने.. .
नयी सी चमक आंखों मे दमक रही है
नयी सी रेखाएं हथेली मे छलक रही है..
बस आप आस पास रहे
ख्वाब नये ओढे है मैने ..
अब न चांद टूटेगा ..
कुछ ऐसे धागे जोडे है मैने...
1 comment:
aayla zakas re
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