Wednesday, February 11, 2009

untitled...

कभी दुनिया मे सब अच्छा लगता है
जमीं आसमां में तू ही तू छाया रहता है

सुना था ख्वाब दिल से देखो, पुरे होंगे
वो ख्वाव, कितने दिनोंसे ये ही सुनता है

घर मे हसता खेलता फ़िरता है कोई
दिखने में मेरा ही हमशक्ल दिखता है

दिवाना बादल बरसता है, तरसता है
तेरी कहानी बूंदो की जबानी कहता है

मुझमे घुल गया है एक बावरा आसमां
हर गली कूचे में तुझे ढुंढता फ़िरता है

ये लफ़्ज है, या फ़िर तेरी यादों की परछाई
जैसे साहिल की रेत पे तुझे कॊई लिखता है