माना के तुझमे पहलेसे जजबात न सही
किसीसे उल्फ़त,मुझसे मुहब्बत न सही
पिछा करता रहता है यादों का काफ़िला
भागते रहो,हर तरफ़ वही रास्ता मिला
रुका रहूंगा उस एक नये मोड पे हमेशा
कुछ दिनो बाद तुझे मेरी जरूरत न सही
किसीसे उल्फ़त,मुझसे मुहब्बत न सही..
हल्के कोहरे सा घिरा रहता है अतीत
दो कदम चल,मिलेगी सुनहरीसी प्रीत
किसी और के लिए तो खुद को सजा तू
महरूम मुझ मे शायद वो बात न सही
किसीसे उल्फ़त,मुझसे मुहब्बत न सही..
करवटें पूछेंगी गर मेरा पता तुमसे कभी
याद तो रहेंगी ना,चंद बातें जो कही कभी
तेरे मुस्कुराने की ही दुआ मैने मांगी है
हसते हसते फ़िर मै तुझे याद न सही ..
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