Tuesday, January 22, 2008

माझ्या सगळ्या मित्रांसाठी ...

मन की बात न सुन सके वो यार नही
आंखो से बात न पढ सके वो यार नही
चार नज्मे यारी पे जो ना लिख सके
लिखे सैकडो मे खाक , वो शायर नही ...

To all my friends -->

कहते जाउ तो खत्म ना होती बात सा दोस्त
मेरे लिये तो जैसे, पुरे कायनात सा दोस्त

सुस्त पानी को चंचल बनाता,कंकड सा दोस्त
गप्पे लडाता हुआ , गली के नुक्कड सा दोस्त

थमी जिंदगी मे आती मिठी हिचकी सा दोस्त
गम का नशा उतारता किसी साकी सा दोस्त

मुरझाई रुत मे , बरसती धूप सा दोस्त
बिन बोले , बडबडाता हुआ , चूप सा दोस्त

अंधेरी राहो मे संभालता, इक दिये सा दोस्त
जीत की चकाचौंध से बचाता,इक साये सा दोस्त

मस्तीयो के रोज एक नये किस्से सा दोस्त
करीब इतना, परिवार के हिस्से सा दोस्त
गलती हो कोई ,खुब डांटता, भाई सा दोस्त
बेशकिमती ऐसा , पहली कमाई सा दोस्त

2 comments:

आशा जोगळेकर said...

खूपच सुंदर पण -हस्व दीर्घा चया चुका बोचतात ।
तुम्ही सुंदरच लिहिता पण इकडे लक्ष दिलंत तर अप्रतिम होईल.
जाउ नाही जाऊँ, पूरे, मीठी,चुप, मस्तीयों,खूब,
बेशकीमती. राग आला सेल तर sorry.

आशा जोगळेकर said...

च्या, चया नाही