Thursday, February 7, 2008

जिंदगी के सफ़र मे...

जिंदगी के सफ़र मे
मंजिल मौत ही सही
आखिर है जल जाना
तब तक ज्योत ही सही

गम से क्या डरना
वो वो तो हमसफ़र है
खुशीया सजानेवाला
बेनाम कलमकार है
जिंदगी के सागर मे
साहिल मौत ही सही
मोतीभर सुख गर मिले
मिले दुख का हौद ही सही ..
जिंदगी के सफ़र मे...

पलभर ना रुके वक्त
उससे ना जीत पाओगे
अपनी राह थामे चलो
हरदम उसे साथ पाओगे
जिंदगी की दौड मे
जीत मौत की सही
चंद सुनहरे मकाम पाओ
अंत मे दश्त ही सही
जिंदगी के सफ़र मे....

करो प्यार जिंदगी से
मौत एक सौत ही सही
मुफ़्त का वक्त खाया बेवक्त
कभी करवाचौथ ही सही

जिंदगी के सफ़र मे...

No comments: