Tuesday, June 17, 2008

कुछ घंटे ...

कुछ घंटे हुए है तुम्हारी आवाज सुने
क्यूं लगता है सदियां गुजर गई
जीने के लिए आज राशन न मिला
नब्ज जाने कहां आके ठहर गई

यूं लगता है तुम साथ साथ ही हो
रुठे हो , अभी हसोगे , थोडी बात भी हो
पर .. पर..
रतजगे से ख्वाब झटक दिए सब
हंसती हूई यादोंसे आंख भर गई
कुछ घंटे ...

इतना दूर न रहो के कुछ बात न हो
यहां तुम न रहो तो ये कायनात न हो
पर .. पर..
सुबह सुबह शायद तुम मिलो
ख्वाब पलकों मे ये रात भर गई
कुछ घंटे ...

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