Thursday, June 19, 2008

कोहरा

जिंदगी मे दांव पर लगे, रोज नये मोहरे हैं
कभी खुला आसमां, कभी हर तरफ़ कोहरें हैं

खुशी मिली थी , उसके साथ चल न सका
इतनी पास थी , हाथ पकड चल न सका
अब बस गुमनाम साहिल पे टकराती लहरें हैं
..

आईना देखकर पूछा , क्या यहीं हूं मै
बस यही सोचता रहा , क्या सही हूं मै
आनेवाले सभी लम्होंके, अजनबी से चेहरे हैं
..

थोडा सयाना, थोडा दिवाना , बच्चे सा दिल
थोडा बेगाना, थोडा झूठा, थोडा सच्चे सा दिल
कोई गलती ना करे , इसलिए लगाए थोडे पहरें है
...

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